अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ का पुरानी पेंशन योजना को लेकर आंदोलन का ऐलान
राज की बातें
झालावाड़। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ तथा अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) की कड़ी निंदा की है। अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ की राष्ट्रीय अध्यक्ष सुभाष लांबा की अध्यक्षता में आयोजित सचिव मंडल की बैठक में इसको कर्मचारियों के साथ धोखा करार दिया गया। वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित हुई इस बैठक में यूपीएस के उपलब्ध विवरणों की जांच की गई और पाया कि यह देश भर के कर्मचारियों और शिक्षकों को सरकार द्वारा धोखा देने का एक प्रयास है।एनपीएस के खिलाफ पिछले दो दशकों से संघर्ष कर रहे कर्मचारियों को नज़रअंदाज़ करने की एक साजिश और कोशिश है। जिसकी हम निंदा करते है।और पीएफआरडीए एक्ट रद्द कर पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग करते हैं।बैठक में राजस्थान से महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष महावीर शर्मा तथा महामंत्री महावीर सिहाग शामिल हुए राष्ट्रीय महासचिव ए. श्रीकुमार ने बताया कि 26 दिसंबर 2003 को तत्कालीन एनडीए सरकार द्वारा भूतपूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में पीएफआरडीए एक्ट जारी किया गया। एक जनवरी, 2004 से सभी नव नियुक्त केंद्रीय कर्मचारियों और अधिकांश राज्य सरकार के कर्मचारियों पर बिना किसी अधिनियम के अध्यादेश से अनिवार्य रूप से नई पेंशन योजना को लागू कर दिया गया बाद में यूपीए सरकार द्वारा इसका नाम बदलकर राष्ट्रीय पेंशन योजना कर दिया गया और यह विधेयक मुख्य विपक्षी दल भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों (एनडीए)के समर्थन से संसद में पारित किया गया जिसके परिणामस्वरूप पीएफआरडीए अधिनियम लागू हुआ अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ प्रारंभ से ही एनपीएस का पुरजोर विरोध कर रहा था। हमने एनपीएस और संविदा रोजगार को प्रमुख मुद्दे के रूप में उठाते हुए केंद्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत सभी राष्ट्रीय हड़तालों में भाग लिया। केरल, तमिलनाडु व महाराष्ट्र में अनिश्चितकालीन हड़ताल और राजस्थान सहित देश के अन्य हिस्सों में लगातार संघर्ष ने राजनीतिक दलों को एनपीएस पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।हालांकि राजस्थान, झारखंड,छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश ने इसे वापस लेने की अधिसूचना जारी कर दी लेकिन कर्मचारियों और सरकार के माध्यम से फंड मैनेजरों के पास जमा किया गया पैसा पीएफआरडीए द्वारा आज तक राज्यों का अंशदान वापस नहीं किया गया है।इसके कारण अन्य राज्य सरकारें भी पुरानी पेंशन लागू करने से कतराएंगी केन्द्र सरकार के अनुसार यूपीएस के तहत ग्राहकों (कर्मचारियों) को पिछले बारह महीनों के औसत वेतन का 50 प्रतिशत पेंशन के रुप में मिलेगा,जिन्होंने पच्चीस साल की सेवा पूरी कर लीट है और मूल्य मुद्रास्फीति सूचकांक के लिए पात्र हैं। उनका कहना है कि पारिवारिक पेंशन,पेंशन का 60 प्रतिशत और प्रत्येक छह महीने की सेवा के लिए अंतिम वेतन के दसवें हिस्से के हिसाब से रिटायरमेंट पर एक मुश्त राशि दी जाएगी घोषित न्यूनतम पेंशन केवल दस वर्ष की सेवा वाले लोगों के लिए दस हजार रुपये है।एनपीएस के तहत आने वाले कार्मिक अपने पूरे कार्यकाल के दौरान वेतन कटौती के रूप में बड़ी राशि का योगदान दे रहे हैं। एनपीएस में सेवानिवृत्ति के समय संचित राशि का 60 प्रतिशत रिफंड का प्रावधान है। यूपीएस के मामले में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।इसके स्थान पर अल्प धनराशि प्रस्तावित की जा रही है।एकीकृत पेंशन योजना कुछ और नहीं बल्कि आंध्र प्रदेश में नए नाम से लागू की गई गारंटिड पेंशन योजना ही है। आंध्रप्रदेश विधानसभा ने पिछले वर्ष के दौरान गारंटिड पेंशन योजना विधेयक को अपनाया है। केंद्र सरकार के लिए भी यही फॉर्मूला अपनाया गया है।अब यूपीएस में सरकार के योगदान को बढ़ाकर 18.5 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे निश्चित तौर पर कॉरपोरेट घरानों को मदद मिलेगी पिछले वित्त वर्ष तक एनपीएस के जरिए जुटाए गए दस लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रुपये शेयर बाजार में निवेश किए जा चुके हैं।सरकार इसे बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी निश्चित रूप से उन कॉर्पोरेट घरानों के लिए एक बड़ा उपहार होगी जो पेंशन निजीकरण के वास्तविक लाभार्थी हैं।हमारे देश के श्रमिकों और किसानों द्वारा समर्थित विभिन्न क्षेत्रों में कर्मचारियों के निरंतर संघर्ष और हड़तालों के परिणामस्वरूप सरकार के लिए एनपीएस चिंता का एक गंभीर मुद्दा बन गया है। इन संघर्षों के परिणामस्वरूप शेयर बाजार के माध्यम से होने वाली लूट को सुर्खियों में लाया गया है।जिलाध्यक्ष राधेश्याम पंकज ने बताया की अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ और अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त कर्मचारी महासंघ दो दशकों से अधिक समय से राज्य कर्मचारियों और शिक्षकों के सभी आंदोलनों का नेतृत्व कर रहा है। कुछ केंद्रीय सरकार के कर्मचारी संघों के नेता है।जो खुले तौर पर यूपीएस का समर्थन कर रहे है।और राज्य कर्मचारियों को अपने राज्यों में यूपीएस को लागू करने की सलाह दे रहे हैं।हमें ऐसे नेताओं की किसी सलाह की ज़रूरत नहीं है।जिनका ट्रैक रिकॉर्ड संदिग्ध है।अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने अपना रुख दोहराया कि हम एकीकृत पेंशन योजना की निंदा करते हैं।हम दृढ़ता से पुरानी पेंशन योजना के पक्ष में खड़े हैं।
ओपीएस में पेंशन के नाम पर वेतन से कोई कटौती नहीं है। लेकिन समय-समय पर समीक्षा और संशोधन के द्वारा पेंशन में वृद्धि होती है।सभी को कम्युटेशन मिलता है।साथ ही उच्च दर पर हर परिवार पेंशन के लिए पात्र होता है।अखिल भारतीय राज्य सरकारी कर्मचारी महासंघ ने देश भर के सभी कर्मचारियों और शिक्षकों से पुरानी पेंशन योजना की बहाली के लिए अपना संघर्ष जारी रखने की अपील की है।एनडीए सरकार का पेंशन में बदलाव अतीत के दौरान कर्मचारियों के लगातार संघर्षों के कारण हुआ है।यह इस बात को रेखांकित करता है।कि अगर पूरे देश में एकजुट होकर संघर्ष जारी रहेगा तो हम पीएफआरडीए कानून को रद्द कर पुरानी पेंशन योजना को वापस ला सकते हैं।जिला महामंत्री मुश्ताक अहमद ने बताया कि राष्ट्रीय सचिव मंडल की बैठक में 26 सितम्बर, 2024 को "राष्ट्रीय विरोध दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है।पुरानी पेंशन योजना की बहाली की मांग को लेकर सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन आयोजित करने का आह्वान किया गया है।अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ की प्रान्तीय कार्यकारिणी ने राज्य के कर्मचारियों से 26 सितम्बर को जिला मुख्यालयों पर होने वाले प्रदर्शनोंvको सफल बनाने की अपील की है।साथ ही झालावाड़ के कर्मचारियों से भी इस आंदोलन में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील करता है।
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