सम्पादकीय नई घटना का इंतजार देश की न्याय व्यवस्था पर सवालिया निशान। देश के हर छोटे बड़े गांव शहर में अपराध आम बात हो चली है। कुछ गुत्थियां सुलझती है तो कुछ अनसुलझी रह जाती है। झालरापाटन में हाल ही पुलिस ने ख्यातनाम कवि और शिक्षक के ब्लाइंड मर्डर का पर्दाफाश किया। 3 से 4 दिन मे पुलिस ने ऐसे पेचीदा केस का खुलासा कर दिया और पुलिस हर अपराध का खुलासा कर भी देती है पर परिणाम क्या ? सिर्फ हर घटना के बाद विरोध, प्रदर्शन, धरना, ज्ञापन उसके बाद गिरफ्तारी और इन ज्ञापन, धरना, प्रदर्शन वालो को फिर किसी नई घटना का इंतजार। क्यो नही रुकता है देश मे हत्या, बलात्कार, लूट, चोरी और भी कई गंभीर अपराध। कब तक करेगी पुलिस हर अपराध का खुलासा।क्या हर व्यक्ति के साथ हर समय पुलिस के जवान साथ रहे? क्या ऐसा संभव है? पुलिस टीम को सल्यूट की उन्होंने 3 दिन में ही मर्डर मिस्ट्री सुलझा दी। लेकिन अपराध होने के बाद अपराधी को पकड़ना ही एक पैटर्न बन गया है। क्या अपराध की रोकथाम के लिए पुलिस द्वारा सख्त कदम नहीं उठाए जाने चाहिए। जिससे कि अपराधी अपराध करने से पहले 100 बार सोचे। हर बार बस खुलासा और फिर नई घटना का इंतजार। शहर म