फसल कटाई उपरांत कृषकों द्वारा फसल अवशेषों को जलाने पर होगी कार्यवाही
राज की बातें / जयन्त पोरवाल :
झालावाड़। जिले में किसानों द्वारा फसल कटाई के उपरान्त खेत में शेष रहे फसल अवशेषों को खेतों में ही जला दिया जाता हैं अथवा निकटतम ईट भट्टे आदि में जलाने हेतु भेजा जाता है जिससे भूमि एवं वायु प्रदूषण होता है, जो कि क्षेत्र की सूक्ष्म कृषि परिस्थिति तथा मानव स्वास्थ्य के लिये अत्यन्त हानिकारक हैं। मुख्यतः जिले के जिन क्षेत्रों में फसल कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर के द्वारा की जाती है, प्रायः उन खेतों में फसल अवशेषों को जलाने का कार्य सामान्यतः माह अक्टूबर-नवम्बर में किया जाता हैं।
कृषि विभाग के उप निदेशक सत्येन्द्र पाठक ने बताया कि वर्ष 2021 में झालावाड़ जिले में फसल कटाई उपरान्त फसल अवशेषों को खेत में ही जलाने की प्रवृति की प्रभावी रूप से रोकथाम तथा फसल अवशेषों का उचित प्रबन्धन करने के लिये जिला कलक्टर के निर्देशानुसार खेतों में फसल कटाई पश्चात् फसल अवशेषों को जलाने को सख्ती से रोकने हेतु किसानो से लगातार सम्पर्क किया जाकर उन्हे फसल अवशेषों को न जलाकर इनको खेतों में ही लाभप्रद रूप से काम लेने के लिये प्रेरित किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि निर्देशों एवं फसल अवशेषों को जलाने के प्रतिबन्ध का उल्लंघन करने वालोे के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। गौशालाओं को प्रेरित किया जाकर फसल अवशेषों से चारा बनाकर इसके अधिक से अधिक उपयोग पर प्रभावी कार्यवाही की जाएगी। फसल अवशेषों को अधिक से अधिक बॉयोमास आधारित पॉवर प्लांटों में उपयोग लिया जाएगा। किसानों को फसल अवशेषों को जलाने की प्रवृति से दूर रखने हेतु प्रशिक्षण कार्यक्रमों, रात्रि चौपाल व प्रशासन गांवों के संग अभियान के माध्यम से फसल अवशेषों के लाभप्रद प्रबन्धन हेतु प्रेरित किया जा रहा है।
जिले में किसानों द्वारा फसल कटाई के उपरान्त खेत में शेष रहे फसल के अवशेषों को जलाने की रोकथाम/नियंत्रित करने हेतु पूर्व में इस संबंध में वांछित समन्वय, निगरानी व मॉनिटरिंग हेतु उपखण्ड अधिकारी, तहसीलदार, सहायक निदेशक कृषि (वि.)/सहायक कृषि अधिकारी को कमेटी में मनोनीत किया गया है। उक्त गठित उपखण्ड कमेटी फसल अवशेषों को जलाने की घटनाओं के दौरान उपखण्ड स्तर पर नियमित रूप से बैठक आयोजित कर फसल अवशेषों को जलाने की रोकथाम, नियंत्रित एवं मॉनिटरिंग हेतु विभिन्न गतिविधियों की प्रगति की समीक्षा करेगी। फसल अवशेषों को जलाने के प्रतिबन्ध का उल्लंघन करने वालों के विरूद्ध नियमानुसार दण्डात्मक/प्रतिरोधात्मक कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी तथा ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत स्तरीय कार्मिकों की संयुक्त गठित कमेटी जिसमें ग्राम विकास अधिकारी, पटवारी व कृषि पर्यवेक्षकों को शामिल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान राज्य अधिसूचना द्वारा वायु अवशेष 19(5) (प्रदूषण के रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम 1981 के तहत फसल अवशेष जलाना प्रतिबंधित किया गया है। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा फसल अवशेषों को जलाने पर भूमि स्वामित्व के अनुसार रूपए 2500/- (2 एकड़ से कम), 5000/- (2-5 एकड़) और 15000/- (5 एकड़ से अधिक) प्रति घटना जुर्माना लगाने का प्रावधान किया गया है।
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