मुख्य प्रशासिका को अर्पित किए श्रद्धा सुमन
राज की बातें/ जयन्त पोरवाल:
झालरापाटन। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की शाखा शुक्रवार को प्रथम मुख्य प्रशासिका जगदंबा सरस्वती को श्रद्धा के फूल अर्पित का भाव भीनी श्रद्धांजलि दी। मीना बहन ने बताया मम्मा का चलना बोलना देखना बहुत प्यारा लगता था धीमी चाल मुस्कुराता हुआ चेहरा सब के प्रति आदर भाव मम्मा में देखा इसलिए मम्मा के प्रति मेरी बहुत सम्मान की दृष्टि रही ईश्वरीय विश्वविद्यालय में उनको मम्मा के नाम से पुकारा जाता था मम्मा में गंभीरता का गुण विशेष था जिसे मम्मा मम्मा बनी समाने की शक्ति, सामने की शक्ति ऐसी अनेक शक्तियां भी मम्मा में थीउनकी बुद्धि कहीं भी किसी भी बात में नहीं जाती थी मम्मा वो प्यारी थी ,चलती ऐसे थी जो धरती को भी दुख ना पहुंचे हम मम्मा को फॉलो कर उनके समान बने ।मम्मा को श्रद्धांजलि देने वालो का तांता लगा रहा । मम्मा के आखिरी शब्द बीती बात याद नहीं करना ,हर घड़ी अंतिम घड़ी समझना,हुक्मी हुक्म चला रहा है*मम्मा सदा कहती थी - " हर घड़ी अन्तिम घड़ी है" और "हुक्मी हुक्म चला रहा है"* इसी मन्त्र से हम सहज नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप हो जायेंगे और अपनी बुद्धि को सब बातों से फ्री रख बाबा की आशाओं को पूर्ण कर सकेंगे। अपनी अन्तिम घड़ी का कोई भरोसा नहीं है इसलिए हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझते हुए एवररेडी रहो। एवररेडी अर्थात तीव्र पुरूषार्थी। ऐसे नहीं सोचो कि अभी तो विनाश होने में कुछ टाइम लगेगा फिर तैयार हो जायेंगे। नहीं। हर घड़ी अन्तिम घड़ी है इसलिए सदा निर्मोही, निर्विकल्प, निर-व्यर्थ.. व्यर्थ भी नहीं, तब कहेंगे एवररेडी। कोई भी कार्य रहे हुए हो लेकिन अपनी स्थिति सदा उपराम हो, जो होगा वो अच्छा होगा।
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