सावधान! कब्जे के आधार पर कहीं आप की भूमि का कोई दूसरा ना बना ले जाए पट्टा

राज की बातें/जयन्त पोरवाल:

झालरापाटन। वर्तमान में पूरे राज्य में नगरपालिकाओ द्वारा प्रशासन शहरों के संग अभियान के अंतर्गत राजस्थान नगरपालिका अधिनियम की धारा 69 क, स्टेट ग्रांट एवं कच्ची बस्ती एक्ट के अंतर्गत पट्टे जारी किए जा रहे हैं। इन पट्टों को जारी किए जाने के संबंध में स्वामित्व विलेख के दस्तावेज का नगर पालिका में समर्पण के साथ-साथ एक अन्य आधार उस भूखंड पर आधिपत्य अर्थात कब्जा भी है। जनसेवा के परिप्रेक्ष्य में अधिक से अधिक पट्टे बनाए जाने की होड़ लगी हुई है। इससे नगरपालिका को राजस्व लाभ भी प्राप्त हो रहा है। नगर पालिका द्वारा पट्टे जारी करने के लिए भूमि के अधिकारों के अभ्यर्पण की अनुज्ञा प्रपत्र के साथ में कुछ शपथ पत्र अथवा मौतबीर लोगों के उस भूखंड पर कब्जे के संबंध में शपथ पत्र लिए जाते हैं। इसके साथ-साथ कब्जे के सबूत के रूप में गृह कर की रसीद, बिजली पानी का बिल भी ले लिया जाता है और भूखंड पर आवेदक का कब्जा प्रकट होने पर उसके नाम यह पट्टा जारी कर दिया जाता है। यहां यह तथ्य महत्वपूर्ण है कि नगर पालिका के अभिलेख नगर पालिका की ओर से कोई प्रमाणिक तौर पर भू–स्वामी से ग्रह कर नहीं लिया जाता है। इसके साथ-साथ बिजली व पानी का बिल भी विभिन्न श्रेणियों में भूस्वामी के अतिरिक्त अन्य व्यक्तियों को देने का प्रावधान रहा है। इसलिए उक्त दस्तावेजों के आधिपत्य के प्रमाणिक प्रमाण ना होते हुए भी इन्हें कब्जे का सबूत मानकर पट्टा जारी कर दिया जाता है। इसमें इस तथ्य की भी अनदेखी हो रही है कि भूखंड पर कब्जा धारी का कब्जा किस हैसियत से है। उदाहरण के लिए वह किराएदार है भूस्वामी की अनुमति से रह रहा है? भूखंड के कई सह स्वामी तो नहीं है। भूखंड में किस किस व्यक्ति का स्वामित्व अधिकार रहा है इत्यादि। सावधान हो जाइए अपने अपने भूखंड के दस्तावेजों को संभाल लीजिए कहीं यह प्रक्रिया आने वाले समय पर राज्य के सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ कर विवादों की स्थली ना बना दे।


टिप्पणियाँ

  1. श्रीमान आपका बहुत बहुत धन्यवाद
    एकदम सही कहा,
    आजकल फर्जीवाड़ा बहुत हो रहा है
    अपने सही समय पर जागरूक किया

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