वर्ल्ड बाइसिकल डे पर विशेष - सेहत और पर्यावरण संरक्षण की पहल
राज की बातें / जयन्त पोरवाल:
झालरापाटन। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2018 में 3 जून को विश्व बाइसिकल दिवस के तौर पर घोषित किया था। इस साल दुनिया में छटा विश्व बाइसिकल दिवस मनाया जा रहा है। इस प्रस्ताव के लाने के पीछे बाइसिकल का आसान होना, किफायती होना और पर्यावरण के नजरिए से साफ और स्वच्छ होना था। यह प्रदूषण रहित अविष्कार अपनी विशिष्टता से लंबे समय तक बिना किसी खर्च के उपयोग किया जाता है।
साइक्लिंग कर सेहत और पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले युवाओ का हो रहा सम्मान
वर्ल्ड बाइसिकल डे पर बात करते है झालरापाटन के उन युवाओं की जो रोजाना साइक्लिंग करके दे रहे है सेहत और पर्यावरण संरक्षण का संदेश। झालरापाटन के युवा साइक्लिस्ट कमलेश गुप्ता ने बताया की वे रोजाना 25 किमी साइकिल चलाते है और सभी को साइकिल चलाने के लिए प्रेरित करते है। उन्होंने बताया की झालरापाटन में उनका टाइगर राइडर्स नाम से साइक्लिंग ग्रुप है। गत 3 वर्ष में साइक्लिस्ट गुप्ता ने 21300 किमी साइक्लिंग की। गुप्ता ऑनलाइन प्रतियोगिताओं में भी भाग लेते है जिसमे उन्होंने 50 मेडल, 30 ट्रॉफी और लगभग 400 से अधिक प्रमाण पत्र प्राप्त किए। पर्यावरण जनचेतना और पर्यावरण संरक्षण की मुहिम में साइक्लिंग द्वारा लोगो को जागरूक करने के लिए नगर पालिका झालरा पाटन द्वारा 26 जनवरी को, जिला स्तर पर जिला कलक्टर द्वारा 15 अगस्त को और पोरवाल समाज मंदसौर एवं पोरवाल समाज इंदौर द्वारा प्रतिभा सम्मान समारोह में सम्मानित किया गया है। वही इनके ग्रुप के अन्य सदस्य चंद्रकांत त्रिपाठी ने 15000 किमी से अधिक साइक्लिंग की, शैलेंद्र गुप्ता 10000 किमी, साथ ही विजय पाटोद, हिमांशु अग्रवाल, दिनेश मीणा, कपिल सोनी, जगदीश कुमार गुप्ता, महिम राठौर, अंशु गुप्ता आदि नियमित साइक्लिंग करते है। झालावाड़ निवासी महिला उज्जवला कनोड़े ने गत 3 वर्ष में नियमित साइक्लिंग कर 40000 किमी पूर्ण किए और सेहत के प्रति लोगो को जागरूक किया। झालावाड़ और झालरापाटन के इन युवाओं की तरह ही राज्य और देश में कई ऐसे लोग है नियमित साइक्लिंग करते है। बाइसिकल चलाने से कई गंभीर बीमारियों से बचा जा सकता है जैसे हार्ट अटैक, कुछ केंसर के प्रकारों से, मोटापे व डायबिटीज आदि से। आज के समय में साइकिल को अपने जीवन में ढालकर हर किसी उम्र का व्यक्ति स्वस्थ रह सकता है।
साइकिल कराती है भारतीय संस्कृति से जुड़ाव
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त भारतीय संस्कृति को युवाओं तक पहुंचाने वाले आंदोलन स्पीक मैके के संस्थापक डॉ. किरण सेठ का कहना है कि अब वह समय आ गया है जब हमें पर्यावरण से अपने रिश्ते को और मजबूत बनाने के लिए अपनी यात्राओं के ऐसे साधन ढूंढने पड़ेंगे जो पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाए। साइकिल विद स्पीक मैके (सोसायटी फॉर प्रमोशन ऑफ इंडियन क्लासिक म्यूजिक एंड कल्चर अमंग युथ) एक ऐसा ही प्रयास है।
बढ़ने लगा साइक्लिंग का क्रेज
शहर में अब साइकिलिंग का क्रेज बढ़ने लगा है। पिछले 5 साल में साइकिलिंग के कई ग्रुप तैयार हो चुके हैं। सुबह महिलाओं और पुरुषों के ग्रुप को साइकिलिंग करते देखा जा सकता है।
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