महिलाओं ने की गोबर के गोवर्धन बनाकर पूजा
राज की बातें/जयन्त पोरवाल: झालरापाटन। दीपावली के अगले दिन, यानी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को देश भर में श्रद्धा और उत्साह के साथ गोवर्धन पूजा का पर्व मनाया गया। इसे अन्नकूट उत्सव के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान श्रीकृष्ण, गोवर्धन पर्वत और गौ माता के प्रति आभार प्रकट करने का दिन है। धार्मिक महत्व और कथा यह पर्व मुख्य रूप से भगवान श्रीकृष्ण की उस अलौकिक लीला को समर्पित है, जब उन्होंने अपनी कनिष्ठा (छोटी) उंगली पर विशाल गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को देवराज इंद्र के भयंकर प्रकोप और मूसलधार वर्षा से बचाया था। यह कथा हमें अहंकार पर भक्ति की विजय और प्रकृति के सम्मान का संदेश देती है। गोवर्धन पूजा के द्वारा भगवान कृष्ण ने ब्रजवासियों को संदेश दिया कि वे इंद्र की नहीं, बल्कि उस गोवर्धन पर्वत की पूजा करें, जो उन्हें प्राकृतिक संसाधन प्रदान करता है। बुधवार को झालरापाटन में जगह-जगह महिलाओं ने गोबर के गोवर्धन जी बनाकर उनकी परिक्रमा कर पूजा अर्चना की। नगर के बरड़ी चबूतरे के पास सार्वजनिक रूप से महिलाओं ने गोबर के गोवर्धन जी बनाकर पूजा अर्चना कर सुख समृद्धि की कामना की।...