क्षतिग्रस्त सड़के, यातायात व्यवस्था ठप, जिम्मेदार मौन
राज की बातें/जयन्त पोरवाल:
झालरापाटन। शहर में दीपावली त्योहार के चलते बाजार में रौनक बढ़ रही है। पिछले 2 साल में कोरोना काल और लॉकडाउन के चलते व्यापारी आर्थिक संकट से जूझ रहे थे। इस वर्ष सरकार की तरफ से बाजार में आवाजाही की राहत है। झालरापाटन में आसपास के ग्रामीण इलाकों से भारी संख्या में लोग खरीदी करने आते है। लेकिन शहर की सीमा में घुसते ही लोगो का सामना गड्डो और क्षतिग्रस्त सड़को से होने लगता है। नगर के थाना चौराहा, गिन्दौर मुख्य मार्ग, सूरजपोल दरवाजे से नाके तक, बस स्टैंड से गिन्दौर दरवाजा तक और परकोटे के अंदर भी सड़के उखड़ी हुई है लेकिन ना नगरपालिका समय से सही कर पा रही है ना ही सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिकारी ध्यान दे रहे है। मुख्यमंत्री बजट घोषणा में नगरपालिका क्षेत्र में 10 किमी तक क्षतिग्रस्त सड़को की मरम्मत का कार्य सार्वजनिक निर्माण विभाग को करना था, जिसके लिए नगरपालिका से प्रपोजल भी दिया जा चुका है और विभाग को बजट भी प्राप्त हो चुका है। लेकिन विभाग की गैरजिम्मेदाराना कार्यशैली के चलते त्योहार के वक़्त भी लोग गड्डों भरी सड़को पर चलने के लिए मजबूर है। क्षतिग्रस्त सड़को के कारण कई बार वाहनों को भी नुकसान पहुचता है। शहर में जगह जगह सीवरेज का कार्य चलने से भी सड़के खुदी हुई है उनका भी समय पर भराव नही हो पा रहा। यातायात व्यवस्था बिल्कुल बिगड़ी हुई है क्योंकि लोगो को क्षतिग्रस्त सड़को के कारण अपना मार्ग बदलकर निकलना पड़ रहा है जिससे एक ही मार्ग पर अधिक वाहन होने से जाम के भी हालात बन जाते है। लोग अपने चौपहिया वाहन नगर में जहाँ तहां खड़े कर देते है जिससे मार्ग भी बाधित होते है। आवागमन करने वाले बुजुर्ग नागरिको को टूटी फूटी सड़को से निकलने के कारण कमर व गर्दन दर्द की शिकायतें तक बढ़ने लगी है। पालिकाध्यक्ष और पार्षदों द्वारा सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधिशासी अभियंता को राज्यपाल के नाम ज्ञापन भी दिया जा चुका है फिर भी सड़को के मरम्मत की धीमी गति तेज होने का नाम नही ले रही। लगता है जिम्मेदार अधिकारी लोगो को गड्डों में से ही आवागमन करवाने का मन बना चुके है। अब देखना यह है कि कब तक विभाग जनता को इन क्षतिग्रस्त सड़को से राहत दिलाता है और कब तक पालिका यातायात व्यवस्था सुधारती है।
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