जैन मुनि आचार्य प्रज्ञासागर महाराज ने रणछोड़ राय मंदिर में धर्मसभा को किया संबोधित
राज की बातें/जयन्त पोरवाल:
झालरापाटन। जांगड़ा पोरवाल समाज के तत्वाधान में स्थानीय रणछोड़ राय जी के मंदिर में चातुर्मास कर रहे तपोभूमि प्रणेता 108 आचार्य प्रज्ञा सागर जी महाराज की धर्म सभा का आयोजन हुआ। सभी समाज बंधुओ के साथ महाराज श्री शांतिनाथ मंदिर से शोभा यात्रा के रूप में रणछोड़ जी के मंदिर पहुंचे। जहां समाज के अध्यक्ष जगदीश कुमार गुप्ता, पार्षद अंशु गुप्ता, शिव कुमार सेठिया, गोपाल पोरवाल, विकास पोरवाल, वल्लभ पोरवाल, शैलेंद्र गुप्ता बंटी पोरवाल, सुनील पोरवाल ने पद प्रक्षालन कर महाराज का अभिनंदन किया। मार्ग में कई जगह पुष्प वर्षा एवं पद प्रक्षालन कर अभिनंदन किया।
सर्वप्रथम समाज के शैलेंद्र गुप्ता बंटी पोरवाल द्वारा 'हो जाती है धरा पावन जहां चरण आपके पढ़ते हैं जहां विचरण आप करते हैं धरती भी धन्य हो जाती है काव्य पाठ कर सभी का मन मोह लिया।
इसके पश्चात धर्म सभा को संबोधित करते हुए आचार्य श्री ने कहा कि बाल अवस्था में ही कृष्ण में कंस और जरासंध को पछाड़ने की ताकत रखने के बावजूद भी गुरु महात्मा संतो के कहने से की अभि रण का समय नहीं है शत्रु की ताकत को पहचान कर और शक्ति बढ़ाकर शत्रु को पछाड़ना है।
नाम से मुक्ति संभव
भौतिकवाद और पाश्चात्य संस्कृति के चलते आज बच्चों के जन्म से नाम राजा महाराजा, मिष्ठान फिर अभिनेता अभिनेत्री व पशुओं के नाम से रखे जाने लगे हैं। जबकि जगदीश नाम की महत्ता बताते हुए भगवान के नाम से रखने से कई बार दिन में ईश्वर को याद किया जा सकता है। जिससे मनुष्य को भगवान की प्राप्ति संभव है। अजामिल ने अपने बेटे का नाम नारायण रखने मात्र से ही अजामिल का कल्याण हो गया।
जन्म से ही बंधन
आचार्य श्री ने कहा कि मनुष्य जन्म से ही बंधन में बंधा है। भगवान कृष्ण का जन्म भी जेल में हुआ था बंधन से मुक्ति का संदेश कृष्णा देते हैं।
छल का जवाब छल से
आचार्य श्री ने कहा की छल का जवाब छल से और बल का जवाब बल से देना चाहिए। जहां जन्म से ही छल व्याप्त है, वहां अर्जुन द्वारा कर्ण पर अस्त्र चलवा कर सही किया। कौरवों ने हमेशा छल का सहारा लिया। मकड़ी अपना जाल बुनती है और उसमें ही कसती जाती है इस प्रकार मनुष्य भी अपने बनाए हुए जाल में फंसकर रह जाता है। छल के लिए इंतजार करना पड़ता है बल के लिए नहीं।
गलतियां इंसान की कमजोरी
इंसान से गलतियां होना स्वाभाविक है भगवान को पता है कि कब कौन सा दाव चलना है। कृष्ण ने धर्म को जिताया है उनका पुरुषार्थ धर्म के लिए था उन्हें सिर्फ धर्म की रक्षा करनी थी जैन और हिंदू धर्म में अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू अवतारवाद को मानता है और जैन धर्म तीर्थंकर वाद को। उन्होंने कहा कि कृष्ण, महावीर, राम और बुद्ध में कोई अंतर नहीं है अंतर हमारी मान्यता का है।
मुनी बनना आसान नहीं
इस भौतिकवाद में दिगंबर मुनि बनना आसान कार्य नहीं है 36 वर्षों से एक समय खड़े रहकर भोजन पानी सुबह 6:00 बजे विहार, सर्दी गर्मी बरसात में दिगंबर रहकर साधना कर समाज को संदेश दिया।
यह भी रहे उपस्थित
पोरवाल समाज अध्यक्ष जगदीश गुप्ता, गोपाल गुप्ता, शिव कुमार सेठिया, विकास गुप्ता, आशीष गुप्ता, अंशु गुप्ता, बल्लभ पोरवाल, व्यापार संघ अध्यक्ष यशोवर्धन बाकलीवाल, नगर पालिका अध्यक्ष वर्षा मनीष चाँदवाड, भारत विकास परिषद अध्यक्ष पवन शर्मा, खाद्य एवं तिलहन व्यापार संघ सचिव विजय मुंदड़ा, भाजपा मंडल उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सेठी सहित सैकड़ो पोरवाल समाज के महिला एवं पुरुष मौजूद थे। संचालन यशोवर्धन बाकलीवाल और सचिव जयन्त पोरवाल ने किया और आभार समाज के अध्यक्ष जगदीश गुप्ता ने किया।
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