डॉक्टर की फर्जी सील मामले में संविदाकर्मी ने लगाई न्याय की गुहार
राज की बातें/जयन्त पोरवाल:
झालरापाटन। गौरतलब है कि झालरापाटन शहर स्थित सैटेलाइट अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर के फर्जी साइन व सील से आरजीएचएस योजना में दवाइयां उठाने का मामला सामने आया था। जब डॉक्टर को इसकी जानकारी हुई तो उन्होंने संदेह के आधार पर अस्पताल में ही कार्यरत उपभोक्ता मेडिकल स्टोर संचालक और संविदाकर्मी के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था।सैटेलाइट अस्पताल झालरापाटन में कार्यरत वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. मयंक शर्मा ने दर्ज कराई रिपोर्ट में बताया था कि उनको स्वास्थ्य भवन से जानकारी मिली कि 21 से 23 मई के बीच मेडिकल स्टोर की जांच के दौरान उनके हस्ताक्षर व सील से आरजीएचएस दवाइयों के लगभग 60 के आसपास पर्चे मिले हैं, जबकि इस अवधि में वे चिकित्सा विभाग की ट्रेनिंग में जयपुर गए हुए थे। बाद में पर्चे देखे गए तो डॉ. शर्मा के साइन व सील फर्जी पाए गए। इस पर उन्होंने सैटेलाइट अस्पताल में ही कार्यरत उपभोक्ता भंडार मेडिकल स्टोर के संचालक कमलेश राठौर व संविदाकर्मी राहुल जैन पर संदेह जताते हुए दोनों के खिलाफ थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उक्त मामले में नया मोड़ आया है जहां संविदाकर्मी राहुल जैन व उसकी पत्नी सोनम ने डॉ शर्मा व होलसेल भंडार संचालक पर आरोप लगाते हुए जिला पुलिस अधीक्षक व जिला कलेक्टर को न्याय की गुहार लगाते हुए परिवाद दिया। सोनम ने ज्ञापन में बताया कि वह तथा उसका पति राहुल कुमार जैन सेटेलाइट चिकित्सालय झालरापाटन में कंप्यूटर ऑपरेटर के पद पर ठेका कर्मी के रूप में वर्ष 2008 और 2019 से कार्यरत है। उनका जीवन यापन वहां से मिलने वाले मानदेय 8800 रुपए प्रतिमाह से चलाते हैं। उसके पति को काफी लंबा समय हो गया है। चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सक डॉ मयंक शर्मा तथा उपभोक्ता भंडार मेडिकल स्टोर संचालक कमलेश कुमार राठौर भी लंबे समय से चिकित्सालय में है। पिछले दिनों डॉक्टर मयंक शर्मा ने उसके पति से कहा कि तू मेरा विश्वासपात्र आदमी है। मेरी मोहर अपने पास रख ले तथा कमलेश राठौर मेरी अनुपस्थिति में अगर पर्ची बनवाता है तो इस मोहर को दे दिया करना। यह मोहर लाकर तुझे दे देगा। इसी बीच उसने डॉक्टर मयंक शर्मा से कहा कि हम गरीब लोगों को गुजारा करने दो। जिस पर डॉक्टर ने जातिगत सूचक शब्द कहकर कहा कि तुम मेरा कुछ भी नहीं बिगाड़ सकते। मेरे कहे अनुसार अगर सील व पर्ची नहीं बनाई तो तुम्हें नौकरी से हटा दूंगा। नौकरी जाने के भय से हम उनके गए अनुसार काम करते रहे। ज्ञापन में इस संपूर्ण मामले की उचित जांच कर उसे तथा उसके पति को न्याय दिलाने की मांग की।
आरजीएस कार्ड धारक व उपभोक्ता होलसेल भंडार संचालक भी संदेह के घेरे में
नाम ना बताने के शर्त पर एक जागरूक नागरिक ने बताया कि जब भी कोई आरजीएस कार्ड धारक मेडिकल स्टोर से दवाई लेता है तो उनके मोबाइल पर दवाई का कुल मूल्य व ओटीपी आता है जिसे आरजीएस कार्ड धारक को मेडिकल स्टोर वाले को बताना पड़ता है इसके बाद ही उन्हें दवाई मिलती है। यहां सवाल यह भी पैदा होता है कि जब डॉक्टर 21 तारीख से 23 तारीख तक चिकित्सा विभाग की ट्रेनिंग में जयपुर थे तो आरजीएस कार्ड धारक ने डॉक्टर से दवाई लिखवाई कैसे ? या फिर ये पर्चीयां होलसेल भंडार पर ही बनाई जा रही थी। खैर मामला जो भी हो यह जांच में सामने आएगा। फिलहाल पुलिस व चिकित्सा विभाग द्वारा होलसेल भंडार संचालक के खिलाफ डॉक्टर की फर्जी सील लगाने के मामले में जांच की जा रही है।
"ज्ञापन में दिए गए समस्त तथ्य बेबुनियाद है। मैंने इस तरह का कोई काम नहीं किया है। ना ही संविदाकर्मी को सील लगाने के लिए दी।"-
डॉ मयंक शर्मा, राजकीय सैटेलाइट अस्पताल झालरापाटन
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